(Ram Mandir) राम मंदिर के निर्माण में विशेषताएं:
मंदिर के निर्माण में भारतभर के पारंपरिक शिल्पकला का समावेश किया गया है। राजस्थान और गुजरात के अलावा ओडिशा और कर्नाटक की शैली के तत्व भी देखने को मिलेंगे।
मंदिर के गर्भगृह में रखी जाने वाली रामलला की मूर्ति 47 इंच ऊंची और 32 इंच चौड़ी है। इसे नेपाल के अयोध्या पहाड़ों से निकले विशेष काले पत्थर से तराशा गया है।
मंदिर के स्तंभों पर सुंदर नक्काशी की गई है। देवताओं, ऋषियों-मुनियों, रामायण के प्रसंगों और पौराणिक कहानियों का चित्रण किया गया है।
मंदिर परिसर में शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, गणेश मंदिर और मां सीता की रसोई जैसे कई अन्य मंदिरों का भी निर्माण किया जा रहा है।
विशेष आयोजन और उत्सव:
मंदिर उद्घाटन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को निमंत्रण भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समारोह का नेतृत्व करने की उम्मीद है।
अयोध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर के प्रसिद्ध कलाकारों के प्रदर्शन शामिल हैं। रामायण के पात्रों पर आधारित झांकियां भी निकाली जाएंगी।
कई धार्मिक संस्थाएं अयोध्या में सेवा शिविर लगा रही हैं, जहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन, पानी और आवास की व्यवस्था की जाएगी।
देशभर में भक्ति का माहौल:
मंदिर उद्घाटन का उत्सव सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं है। पूरे देश में मंदिरों को सजाया जा रहा है, घरों में भजन-कीर्तन हो रहे हैं और रामधुन का गुंजार सुनाई दे रहा है।
कई शहरों में प्रभातफेरियाँ निकाली जा रही हैं और जुलूस आयोजित किए जा रहे हैं। मंदिर के खुलने का इंतजार हर भारतीय के दिल में है।
राम मंदिर के निर्माण का सामाजिक महत्व:
राम मंदिर के निर्माण के साथ भगवान राम और अयोध्या को लेकर लंबे समय से चले विवाद का शांतिपूर्ण समाधान हुआ है। यह सद्भावना और समाजिक एकता का संदेश देता है।
मंदिर निर्माण से भारतीय कला और संस्कृति को भी बड़ा प्रोत्साहन मिला है। देशभर के शिल्पकारों और कलाकारों की मेहनत का परिणाम इस भव्य मंदिर के रूप में नजर आ रहा है।
आशा है कि इन अतिरिक्त विवरणों से आपको राम मंदिर के निर्माण से जुड़े विषय की गहरी समझ प्राप्त होगी। जय श्री राम!
राम मंदिर: प्राण प्रतिष्ठा की बेला, खुशियों का सैलाब!
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